पंडित विजय शंकर जी मेहता
प्रेरक व्यक्तित्व जिन पाठकों के द्वारा पण्डित विजय शंकर मेहता जी के लेख पढ़े होंगे वे निशचित रुप से सहमत होंगे कि, उनके लेखो में तुलसीदास जी की चौपाईयों के सुन्दर उद्धरण प्रस्तुत कर जीवन को तनाव रहित मार्ग पर चलने के सन्देश बहुत ही सहज रूप से प्रस्तुत किये हैं। वास्तव में मन की दौड़ को रोक कर शरीर की सक्रिय दौड़ आज के तनाव भरे युग का सामना करने के लिये अत्यन्त उपयोगी है। मन को थामने के लिए भारतवर्ष की पुरातन विधि मेडिटेशन तथा योगा वर्त्तमान सन्दर्भ में पहले से कंही अधिक प्रासंगिक वर्त्तमान व भविष्य में है । भविष्य में और आधिक तनावशील स्थितियों का सामना वर्त्तमान पीढ़ी को किया जाना है ,ऐसी स्थिती में देश की शैक्षणिक संस्थाओ में मेडिटेशन तथा योगा की पढाई व प्रैक्टिकल अनिवार्य रूप से सम्मिलित करना चाहिए। उपरोक्त वस्तुस्थिति के सन्दर्भ में पण्डित विजय शंकर जी मेहता के मार्गदर्शनआध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वथा उपयोगी है। सिर्फ शिक्षक या विद्यार्थी ही नहीं अपितु,समाज के समस्त वर्गो...