पंडित विजय शंकर जी मेहता
प्रेरक व्यक्तित्व

उपरोक्त वस्तुस्थिति के सन्दर्भ में पण्डित विजय शंकर जी मेहता के मार्गदर्शनआध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वथा उपयोगी है। सिर्फ शिक्षक या विद्यार्थी ही नहीं अपितु,समाज के समस्त वर्गों के नागरिकों को उनके संदेशों का अध्य्यन कर उस पर चिंतन तथा उन्हें जीवन में अंगीकृत करने के लिए तत्परहोना होगा। पंडित जी के संदेशो का गहराई से मनन करें तो निश्चित रूप से उनमे जीवन की सत्यता व तनावमुक्त होने का आसान मार्ग दृष्टिगोचर होता है। रामचरित मानस में हनुमान जी के प्रेरक व्यक्तित्व की सुन्दर व्याख्या अत्यन्त कुशलतापूर्वक पंडित जी द्वारा वर्त्तमान परिस्थितियों के सन्दर्भ की जाती रही है। वर्त्तमान तथा भविष्य की पीढ़ी के लिए कोर्स डिज़ाइन करने वाले विशेषज्ञों को अब समेकित रूप से विचार करते हुए प्रारम्भ से ही कोर्स में योग तथा मेडिटेशन के लिए आवश्यक प्रावधान करने होंगे। अंग्रेजी पढ़ाये जाने से ज्यादा जरुरी है विद्यार्थिओं व नागरिको में नैतिक शिक्षा तथा आध्यात्मिक शिक्षा से लगाव उत्पन्न करना।
नागरिक आध्यात्मिक होंगे तो नैतिक बल भी बढ़ेगा साथ ही भौतिक सुख सुविधाओं के लिए ऐसे मार्ग नहीं अपनाएंगे जिससे समाज को ,देश को व स्वयं को कष्ट हो।यही सन्देश पंडित जी के व्याख्यानों मेंअंतर्निहित है। आशा है कि,अब और अधिक विलम्ब नहीं करते हुए उक्त मार्ग को शीघ्र ही अंगीकृत किये जाने की आवश्यकता है।
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