जो लोग कहते है कि, संघर्ष में खुशी,शांति तथा मुस्कुराना संभव नहीं,वो क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग से सीखें
गुरमीत सिंह
जीवन के खेल को सहवाग से सीखें कि,कैसे आनंदित होकर संघर्ष कर सकते हैं।
इस लेख का उद्देश्य,महान क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग की जीवनी पर प्रकाश डालना नहीं है,न ही उनके बनाए गए हैरत अंगेज रेकॉर्ड्स की बात करना है।इस महान क्रिकेटर के व्यक्तित्व के वो पहलू जिसने उन्हें, इन ऊंचाइयों तक पहुंचाया है,से प्रेरणा लेकर जीवन दर्शन को समझना है। यद्यपि उनके समकालीन अन्य क्रिकेटर्स ने भी अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है,लेकिन उनके बल्लेबाजी की शैली के साथ ,जो बॉडी लैंग्वेज का कमाल होता है,वैसे बल्लेबाज बिरले ही हैं।सबकी अपनी अपनी खूबियां हैं,लेकिन एक अनोखी खूबी जो सहवाग में परिलक्षित होती है,वह हम सब के आम जीवन के लिए प्रेरणस्त्रोत है।
सर्वप्रथम हम ओपनिंग बल्लेबाज की स्थिति का स्मरण करें।आम तौर पर ओपनिंग पारी का ओपनिंग बैट्समैन,क्रीज पर आने के बाद कुछ समय तक अपनी दक्षता प्रदर्शन को रोकता है,परिस्थितियों को आकलित करता है, बॉलर और पिच खतरनाक है तो,अपने सीखें हुए लॉजिक का प्रयोग करता है, व इस प्रक्रिया में यंत्रवत होकर अपने स्वाभाविक व्यक्तित्व को भूल कर नर्वसनेस का शिकार हो जाता है।इस दबाव में अधिकांश बल्लेबाज,अपना विकेट खो देते हैं।सतर्कता आवश्यक है,परंतु उसके दबाव में आ जाना, दक्षता तथा क्षमता को प्रभावित करता है।पारी प्रारम्भ करना बैट्समैन के लिए सर्वाधिक चुनौती का कार्य होता है, व ऐसे समय जब देश की आशाएं तथा टीम की रणनीति जुड़ी होती है, ओपनिंग बैट्समैन पर होने वाले दबाव को आमजन भी अनुभव कर सकता है।ऐसी स्थिति में रिकॉर्ड बना डालना वो भी निडर तथा बिंदास होकर हर किसी के बस में नहीं होता।यंत्रवत,तनाव में, तकनीकी का उपयोग कर के भी रिकॉर्ड तो बना लिए जाते है,लेकिन मानसिक दबाव से शारीरिक परिवर्तन तथा व्यक्तिगत लाईफ स्टाइल पर जो प्रभाव पड़ता है,वो खेल तथा व्यक्तिगत भविष्य को चिंता में डाल देता है।आशय यह है कि,हम में से अधिकांश लोग अपने जीवन में ओपनिंग बैट्समैन का किरदार निभाते नजर आते हैं।
अब हम क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग की शैली पर नजर डालते है। ओपनिंग करने आते हैं,क्रीज पर निडर, आत्मविश्वास से परिपूर्ण, सतर्क,आनंद की मुद्रा में, आक्रामक लेकिन शांत।अपने स्किल पर भरपूर विश्वास के साथ ओपनिंग ही विस्फोटक हो जाती है।खतरनाक से खतरनाक बॉलर भी नर्वस दिखने लगता है।जो सुधि पाठक क्रिकेट के शौकीन है,उन्हें बताने की आवश्यकता नहीं है कि,कैसे मैदान के चारो ओर निडर होकर अनेक रन तथा रिकॉर्ड बनाएं है,सहवाग ने।उनके शॉट से ज्यादा आनंद उनकी बॉडी लैंग्वेज तथा आनंदित बेफिक्र मुद्रा को देख कर आता था।इंदौर में खेला गया वन डे,जिसमें लेखक भी स्टेडियम में उपस्थित था,उनके अंदाज से अपने साथियों के साथ अभिभूत था।वास्तव में यह वृतांत इसलिए लिखा जा रहा है कि,जीवन को वैसे ही जीने की आवश्यकता है,जैसे सहवाग ने ओपनिंग बैट्समैन की तरह जीया है।बीच बीच में कई बार असफल भी हुए,लेकिन उन्होंने अपना साहस व आनंदित भावना के उपर असफलता को हावी नहीं होने दिया,और यही हम सबके लिए लार्निंग है।
लेख के मूल उद्देश्य पर आते हुए,यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि,जब हम आत्मिक आनंद,खुशी,प्रेम तथा शांति की बात करते हैं तो,लोगो में प्रतिक्रिया होती है कि,वर्तमान परिदृश्य में,जब जीवन निर्वाहन ही अधिकांश लोगों के लिए कठिन हो गया तो,ऐसी स्थिति में खुशी व आनंद की बात अप्रासंगिक तथा अव्यवहारिक है।रोजमर्रा के तनाव तथा जीने के संसाधन अर्जित करने में ही सम्पूर्ण ऊर्जा व स्वास्थ्य लग रहा है,तब आनंद कहां से पैदा करें।इधर कुछ शोधकर्ता व विषय विशेषज्ञ इसको केमिकल लोचा बताते है,तो आम आदमी और अधिक भ्रम में आ गया है।खुशी बेचने की दुकानें भी खुली है,वे भी तदर्थ अल्पावधि की खुशी बेचने के लिए तरह तरह से ग्राहकों को आकर्षित कर रहे है।इनकी ब्रांडिंग व मार्केटिंग इतनी जबरदस्त है कि,लोग आनंद तथा प्रेम का स्त्रोत बनने के स्थान पर अल्पावधि की बाहरी खुशी विविध माध्यमों से खरीद रहें है।लेखक को नहीं लगता है कि सहवाग, ने आनंदित व निडर स्वभाव कहीं बाहरी साधनों से क्रय,किया हो,यह स्त्रोत तो उनके अंदर स्थाई रूप से अर्जित कर स्थापित है।वास्तव में यह एक जीवन दर्शन है, व बचपन से इस दर्शन को अवचेतन में स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
अगर जीवन के प्रारम्भिक वर्षों अर्थात बचपन से ही,निडरता ,विवेक,आनंद,प्रेम तथा आत्मविश्वास बढ़ाने वाली शिक्षा दी जाकर,अवचेतन मन में स्थापित कर दी जावे तो प्राकृतिक संघर्ष व चुनौतियों का सामना आसानी से किया जा सकता है।यह समझना नितांत आवश्यक है कि, चुनौतियां जीवन का अनिवार्य अंग है तथा जीवन की उत्पत्ति से आज तक की यात्रा अनेकों संघर्षों से गुजरी है।जब जीवन विकास की घोर चुनौतियां थी,उसका सामना करते हुए यहां तक आए हैं।ईश्वर ने जीवात्मा को यह शरीर आनंद,प्रेम,शांति तथा मुस्कुराने के लिए दिया है।जो अनुभव से समझते हैं,उनको वैज्ञानिक प्रमाणों की जरूरत नहीं है,परंतु वैज्ञानिक शोध को ही आधार मानने वाले एक दिन अवश्य स्वीकार करेंगे कि,जीवात्मा की तरंगों की वेव लेंथ , फ्रीक्वेंसी तथा अन्य फिजिकल प्रॉपर्टीज आनंद व प्रेम से सरोबार है।आप अनुभव करिए कि,जब भी आप प्रेम व आनंद की अवस्था में होते है,सारे संसाधन तुच्छ नजर आते है।अभी भी कोई देर नहीं हुई है,जब जागे तभी सवेरा।प्रतिदिन का प्रारम्भ परमात्मा को स्मरण करते हुए,मेडिटेशन के साथ स्वयं कोअफरमेशन देना है कि,किसी भी परिस्थिति में शांत,प्रेम पूर्ण तथा आनंदित रहेंगे तथा जो भी चुनौतियां आएंगी विचलित नहीं होंगे,अपना कर्म पूरी तन्मयता,दक्षता तथा विश्वास के साथ करेंगे।आप स्वयं देखेंगे कि,जीवन चर्या आश्चर्यजनक रूप से बदलती जा रही है।आपके कार्य सुगमतापूर्वक होने लगे हैं।जब अंतर्मन तनाव में हो तो स्व में स्थित होकर ध्यान अर्थात मेडिटेशन एक महत्वपूर्ण विधा है,जिससे शांत होने में व तनाव रहित होने मदद मिल सकती है।यह एक अलग ही चेफ्टर है,जिस पर अलग से ही विस्तृत लेख की तथा सिद्ध गुरु की आवश्कता है।
और अब लेख को विराम देते हुए यही अपेक्षाएं है कि,जीवन का प्रति दिन,ओपनिंग बैट्समैन के रूप में परम आदरणीय महान बैट्समैन वीरेंद्र सहवाग के अंदाज में खेलेंगे।कभी कभी असफल भी हो सकते है,लेकिन आनंद,प्रेम व निडरता की भावना को संरक्षित रखते हुए खेल निरन्तर जारी रखें।आपकी वास्तविक सफलता,पूंजी तथा संसाधन यही है।सहवाग जी का उल्लेख प्रेरणा पुरुष के नाते लेख में किया गया है,क्योंकि वे लेख की मूल भावना व उद्देश्य के जीवंत उदहारण हैं।अगर सहवाग जी अथवा उनके साथी क्रिकेटर लेख से असहमत हैं,तो लेखक अग्रिम रूप से क्षमा प्रार्थी है, व यह विश्वास रखता है कि,समस्त क्रिकेट बिरादरी का आशीर्वाद मार्गदर्शन,लेखक व पाठकों के साथ रहेगा।
सप्रेम
गुरमीत सिंह
मेरा नया ब्लॉग,कृपया इस पर अपना अभिमत अवश्य व्यक्त करें
ReplyDeleteबहोत अच्छे गुरुमीत। उमीद है कि अगले लेख में सतत आनंदी रहने के लिए आवश्यक प्रयासों पर भी प्रकाश डालोगे।
Deleteजरूर मिलिंद भाई।आप ऐसे ही प्रेरणा प्रोत्साहन देते रहें
Deleteसत्य वचन, वास्तविक मनः स्थिति आनंद की होनी चाहिए यही सहवाग के भाती विजय श्री का एहसास दिलाती है।
ReplyDeleteधन्यवाद, विवेक भाई आपकी प्रोत्साहन कारक टिप्पणी के लिए।आपके निरन्तर प्रेरणा दायक कॉमेंट्स हमेशा नया लिखने के लिए उत्साहित करती है।
Deleteजीना है तो हँस के जियो
ReplyDeleteजीवन मे एक पल भी रोना ना
धन्यवाद,सही कहा है आपने,जीना इसी का नाम है।
DeleteAapki lakhani gazab he esi tarah likhate rahe aanandit karate rahe best wishes
ReplyDeleteधन्यवाद आपकी शुभकामनाओं के लिए।आगे भी आपके अवलोकन तथा सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।
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